मानव विकास संस्थान, उत्तर प्रदेश,जनपद-उन्नाव के शहर उन्नाव में संत शिरोमणि गुरु रविदास- मंदिर के प्रांगण में मा. बलराज मिस्त्री जी के नेतृत्व में संत शिरोमणि गुरु रविदास जी का जन्मोत्सव- समारोह दिनांक-16 फरवरी दिन-रविवार (माघी पूर्णिमा का पर्व) धूम-धाम से मनाया गया। जिससे क्षेत्र का कोना कोना संत शिरोमणि सद्गुरु रविदास की शिक्षाओं से ओतप्रोत हो गया।
उक्त सत्संग कार्यक्रम माननीया श्रीमती प्रे सभासद- राजेपुर की अध्यक्षमा जीता में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.जी.पी. मानव जी, (सेवा निवृत्त उप प्राचार्य केन्द्रीय विद्यालय संगठन, भारत सरकार, नईदिल्ली) संस्थापक/अध्यक्ष – मानव विकास संस्थान , उत्तर प्रदेश थे।
विशिष्ट अतिथि (1) मा. राकेश विद्यार्थी जी, लेखक-कवि कानपुर संरक्षक, मानव विकास संस्थान -उत्तर प्रदेश थे।
(2) मा. सुखदेव प्रसाद यादव जी एडवोकेट एवं (3)मा. पीयूष राजपूत लोधी एडवोकेट सलाहकार द्वय मानव विकास संस्थान-उत्तर प्रदेश थे। संचालन- मा. सौरभराज भारती जी- महासचिव संत शिरोमणि गुरु रविदास जन्मोत्सव सहमति एवं डॉ रमाशंकर जिला कोषाध्यक्ष उन्नाव (मा.वि.सं.) ने किया।
सर्व प्रथम मा. राकेश विद्यार्थी जी ने मुख्य अतिथि एवं अन्य गणमान्य लोगों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन- पुष्पार्पण कराया। तत्पश्चात् उपस्थित जनसमुदाय को बुद्ध वंदना (त्रिशरण एवं पंचशील) का पाठ ग्रहण कराया।
मा. आनन्द गौतम जी संगीत मंडल के संचालक के द्वारा संत शिरोमणि गुरु रविदास जी की वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
मा. राकेश विद्यार्थी जी ने बताया कि संत शिरोमणि सद्गुरु रविदास एवं सद्गुरु कबीर साहेब का आन्दोलन कोई भक्ति का आन्दोलन नहीं था। वह तो सामाजिक आंदोलन था। अपने कार्य कलापों और अपनी रचनाओं से समाज में अन्धविश्वास एवं फैली हुई कुरीतियों को दूर करने का जीवन पर्यन्त कार्य किया। गुरु रविदास जी पर स्वरचित सुन्दर गीत भी सुनाया।
इसके पश्चात् मा. सुरेश चंद्र वर्मा जी ने गीत के माध्यम से संत शिरोमणि गुरु रविदास जी के जीवन पर प्रकाश डाला। मा. पीयूष राजपूत लोधी जी ने गुरु रविदास जी की वाणी मन चंगा तो कठौती में गंगा का सरल भाषा- शैली में विश्लेषण किया।
मा. सुखदेव प्रसाद यादव एडवोकेट ने बताया कि मैं यादव होने के नाते अंधविश्वास और पाखंड में बहुत जकड़ा हुआ था। जब मैं बाबा साहेब डॉ भीम राव अम्बेडकर,तथागत भगवान् बुद्ध और संत शिरोमणि गुरु रविदास जी को पढा। तब से मैं अपने महापुरुषों के विचारों पर चलने लगा। आगे संत शिरोमणि सद्गुरु रविदास जी के विषय में उनके द्वारा अंधविश्वास -पाखंड और मूर्ति पूजा को दूर करने के सामाजिक आंदोलन पर चर्चा किया।




मा. गोविन्द प्रसाद प्रदेश महामंत्री (मा. वि.सं.) ने बताया कि भारत में भक्ति काल के समय में हमारे संतों- गुरुओं ने तथागत भगवान् गौतम बुद्ध के द्वारा स्थापित समता, स्वतंत्रता, बंधुता , न्याय और ज्ञान-विज्ञान की एक विचार धारा को पुनर्जागृत किया , उसी के आधार पर बाबा साहेब डॉ बी आर अम्बेडकर ने भारत का संविधान लिखकर लोकतंत्र कायम कराया और सुखशांति से जीने का सर्वोत्तम मार्ग प्रशस्त किया।
मुख्य अतिथि डॉ. जी. पी. मानव ने भारत भूमि पर जन्मे समतावादी संतगुरुओं, महापुरुषों और क्रांतिवीरों को नमन-वंदन करते हुए उपस्थित सैकड़ों लोगों को जन्मोत्सव की हार्दिक बधाई दी।
आगे संत शिरोमणि सद्गुरु रविदास जी का जन्म, जन्म स्थान, वंश परिवार, उनके कार्य और शिक्षाओं की चर्चा करते हुए, माघ पूर्णिमा का बौद्ध धर्म में बहुत बड़ा महत्व माना जाता है। माघ पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध ने महापरिनिर्वाण की घोषणा की थी। वैशाली के लिए प्रस्थान किया था। अरहत आनंद का निर्वाण, पंचवर्गीय भिक्खुओं को लखन सूक्त का बुद्ध के द्वारा उपदेश आदि।
संत शिरोमणि रविदास जी के जीवन से संबंधित कई चमत्कार प्रसारित किए गए हैं। वे सारे चमत्कार वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर झूठा साबित होते हैं।
उन्होंने जो शबद कहे हैं, उनमें से 40 पद गुरु ग्रंथसाहब में आज भी उपलब्ध हैं ।
उन्होंने बताया कि –रविदास जन्म के कारणे होवत कोई न को नीच। नर को नीच कर डारि है, ओछे करम की कीच।।1।।
पराधीनता पाप है जानि लेहु रे मीत। पराधीन रविदास से कोई न करता प्रीति ।।2।। जात – जात में जात है, जो केलन में पांत। रविदास न मानुष जुर सके, जबलों जात न जात।।3।।
ऐसा चाहूं राज मैं जहां मिले सबन को अन्न। छोट बड़े सभ सम रहें , रविदासहु रहें प्रसन्न।।4।।
मत पूजो चरण ब्राह्मण के, जो होवे गुणहीन। पूजो चरण चंडाल के, जो होवे गुण प्रवीण।।5।।
जिस भारत की कल्पना संत शिरोमणि सद्गुरु रविदास जी ने किया था। वह भारत के संविधान में मौजूद है किन्तु जब तक आप लोग शिक्षा पर ध्यान नहीं देंगे,तब तक आप मन चाही मुरादें पूरी नहीं कर सकते हैं। जरा सोच कर देखिए हमारे महापुरुषों (गुरु रविदास, गुरु कबीर, महात्मा ज्योतिबाफुले जी, संत गाडगे बाबा और बाबा साहेब अम्बेडकर आदि) ने शिक्षा पर क्यों जोर दिया है? सामाजिक शिक्षा के बगैर एकता नहीं, तो अम्बेडकरवादियों की सरकार नहीं। जब तक अम्बेडकवादियों की सरकार नहीं , तब तक महापुरुषों की सोच का भारत नहीं बनेगा।
अंत में मैं कहना चाहता हूं कि अम्बेडकरवादियों को चाहिए कि भारत के मूल निवासी बहुजन समाज के जितने भी समतावादी सन्तगुरु, महापुरुष और क्रांतिवीर हुए हैं। उनके जीवन संघर्ष को पढ़े और सुनें और उसको अमल में लाएं। तभी भारत देश और बहुजन समाज का कल्याण संभव है।
इसके अतिरिक्त मा संजय कुमार जिला महामंत्री मा. वि. सं. उन्नाव, मा. सुजीत अम्बेडकर तहसील अध्यक्ष- हसनगंज,मा. वि. सं.,मा. राम विलास लोधी जी तहसील महामंत्री-सदर उन्नाव मा. वि. सं., मा.सूर्य प्रकाश फौजी जी, मा. गया प्रसाद बौद्ध जी, मा.वसंत लाल जी, मा. मुन्नी लाल जी आदि अपने अपने विचार संत शिरोमणि गुरु रविदास, बाबा साहेब डाॅ. बी आर अम्बेडकर और तथागत भगवान् बुद्ध सहित कई महापुरुषों की अच्छी बातें बताईं।
सभा अध्यक्ष महोदया श्रीमती प्रेमा ने खुशी का इज़हार किया और कहा कि इसी तरह जगह जगह कार्यक्रम होते रहे, तो एक दिन अंधविश्वास और पाखंड का समूल नास हो जाएगा।
जनता की मांग पर उन्होंने भरोसा दिलाया कि अगले वर्ष जन्म दिवस के पहले तक संत शिरोमणि गुरु रविदास जी के प्रांगण में इंटर लाकिंग और वाउन्डरी वाल बनवाने का भरशक प्रयास करूँगी।
संगीत मंडल बीच बीच में अपनी विद्वता से उपस्थित जन समूह का मन मोहित करता रहा।
मुख्य आयोजक महोदय मा. बलराज मिस्त्री ने सभी का आभार व्यक्त किया।
समाज से जुड़ो, समाज को जोड़ो, जातिवाद- पाखंड से नाता तोड़ो।। सुजीत कुमार अम्बेडकर