धर्ममध्य प्रदेश

डॉ बाबासाहेब अंबेडकर जयंती का कार्यक्रम संपन्न I

अंबेडकर चौराहा जिला पांढुर्ना में भारत रत्न डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर की 134 वीं जयंती का कार्यक्रम संपन्न हुआ, जिसमें मुख्य रूप से जनाब चांद मोहम्मद साहब राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा नई दिल्ली ने शिरकत की।

विशिष्ट अतिथि के तौर पर सम्माननीय सरमन सिंह पटेल राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा भोपाल मध्य प्रदेश के गरिमामई उपस्थित में कार्यक्रम संपन्न हुआ।
कार्यक्रम सुबह 9:00 बजे से शुरू हुआ I

सभा को मुख्य रूप से संदीप घातोड़े,विधायक निलेश उईके,सरमन सिंह पटेल एवं मुख्य अतिथि जनाब चांद मोहम्मद साहब ने संबोधित किया।
मुख्य अतिथि ने कहां की 1913 में बाबा साहब को विदेश जाकर पढ़ने का मौका मिला तब ही उन्होंने प्रण किया था कि मैं अपने भारत देश के दबे कुचले और असहाय समाज की दास्ता की बेड़ियों को दूर करके ही रहूंगा।
तथा बहुजन समाज में जन्मे समस्त संतों,महापुरुषों जिसमे महात्मा फुले,छत्रपति शाहूजी महाराज,छत्रपति शिवाजी महाराज,बिरसा मुंडा,सर सैयद अहमद खान,डॉ बाबासाहेब आंबेडकर आदि के संघर्षों के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि महात्मा फुले ने 1948 में संपूर्ण देश के दबे कुचले और महिलाओं के लिए शिक्षा की अलख जगाई इस प्रकार छत्रपति शाहूजी महाराज ने अपने जन्मदिन के अवसर पर 1902 में अपने रियासत में 50% आरक्षण की व्यवस्था की आपको जानकर खुशी होगी कि कोल्हापुर के पास मानगांव नाम के एक गांव में छत्रपति शाहूजी महाराज ने एक बहुत बड़ी सभा बुलाकर बाबा साहब को सम्मानित किया और उपस्थित लाखों के जनसमुदाय को कहां की आज से आपका कोई नेता है तो वह डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर है,छत्रपति शिवाजी महाराज के संघर्ष एव स्वराज के बारे में भी जानकारी दी और जब भारत का संविधान लिखने का मौका डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर को मिला तब उन्होंने संविधान में इन तमाम महापुरुषों के विचारों को अक्षर सा स्वर्ण अक्षरों में अंकित कर,संपूर्ण देश के एससी,एसटी,ओबीसी और माइनॉरिटी के साथ-साथ स्वर्ण तथा बहुजन समाज को अपने हक और अधिकार देने का काम भारत रत्न डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर ने किया,इतना ही नहीं तो 1930- 31 और 32 में इंग्लैंड के अंदर गोलमेज परिषद में भी बाबा साहब के द्वारा असहाय,पीड़ित और दुखी लोगों की वकालत कर इस देश के तमाम लोगों के लिए वोट देने का अधिकार और सेपरेट इलेक्टरेट का अधिकार भी बाबा साहब ने लाने का काम किया ।

इस प्रकार भारत की महिलाओं की नाजुक स्थिति देखकर हिंदू कोड बिल प्रस्ताव लाकर पुरुषों के बराबर भारत की तमाम महिलाओं को खड़ा करने का काम डॉक्टर अंबेडकर ने किया।
आगे मुख्य अतिथि ने कहा कि 1848 से महात्मा फुले ने जो मानवतावादी आंदोलन चलाया वह आंदोलन 1942 तक क्षेत्रीय आंदोलन रहा,लेकिन जैसा ही बाबा साहब ने इस ओबीसी महापुरुषों का आंदोलन अपने हाथो में लिया तब उन्होंने प्रण किया कि मैं इस आंदोलन को राष्ट्रीय रूप दूंगा।
और 17 जुलाई से 20 जुलाई1942 को नागपुर के अंदर चार दिवसीय शेड्यूल कास्ट फेडरेशन के मार्फत एक बहुत बड़ी सभा बुलाकर ओबीसी के आंदोलन को राष्ट्रीय आंदोलन में रूपांतरित करने का काम डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर ने किया।

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