भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने नागरिकों की सुरक्षा हेतु जारी किये दिशा निर्देश |
नागरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन राष्ट्र का महत्वपूर्ण विषय एवं जिम्मेदारी है, फलस्वरुप नागरिकों की सुरक्षा के लिये सिविल डिफेंस अधिनियम 1968 एवं अन्य नियमों में नागरिक सुरक्षा करने के प्रावधान किये गये हैं। नागरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत सरकार के गृह मंत्रालय की है, जो समय-समय पर राज्यों को आवश्यक निर्देश देती है कि राज्य सरकारें नागरिक सुरक्षा योजनाएं बनायें, योजनाओं की समय-समय पर समीक्षा करे और आवश्यकता पडने पर संशोधन करे। नागरिक सुरक्षा योजनाएं नागरिकों की सुरक्षा, विभिन्न महत्वपूर्ण उद्योगों एवं नागरिक सुविधाओं की सुरक्षा जिनमें रासायनिक, परमाणु एवं अन्य उद्योग प्रतिष्ठान, जल विद्युत योजनाएं एवं अन्य नागरिक संस्थाएं हैं। इन योजनाओं में स्पष्ट रुप से प्रावधान किये जाते हैं कि जब आपदा की स्थिति उत्पन्न होती है या किसी भी प्रकार का संकट आता है तो योजना के अनुसार सरकार के विभिन्न विभाग जैसे पुलिस, सेना, रेल्वे, स्वास्थ्य एवं एयरपोर्ट इत्यादि द्वारा आवश्यक कार्यवाहियां की जाती हैं। नागरिक सुरक्षा योजनाएं बनाने एवं समीक्षा करना एवं संशोधन करना, अभ्यास करना, इत्यादि सामान्य प्रक्रियाएं हैं, जो समय-समय पर की जाती हैं। इन गतिविधियोंइस अभ्यास से किसी भी नागरिक को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है।

इस हेतु सभी नागरिकों से अपील की जाती है कि वे अभ्यास में सम्मिलित होकर सहयोग प्रदान करें तथा प्रशासन द्वारा सायरन के माध्यम से सूचना उपरान्त उन्हें स्वयं एवं परिजनों को सुरक्षित स्थान पर रखने का अभ्यास करना है। हवाई हमले का लाल सिग्नल दो मिनिट तक उंची-नीची आवाज मे सायरन का बजना होता है तथा खतरा टलने के उपरान्त दो मिनिट तक सायरन बजाकर सूचना दी जाती है। ब्लेकआउट के संबंध में सामान्यजनों से अपेक्षा है कि घर/कार्यालय के पर्दों एवं लाईट को बंद करें तथा पुनः सायरन बजने पर लाईट जला लें। भीड-भाड न बढायें, अफवाह न फैलायें एवं यातायात / पुलिस / एम्बुलेस सुविधाओं को सुचारु रुप से चलते रहने में सहयोग करें एवं अभ्यास के दौरान प्रशासन के निर्देशों का पालन कर अभ्यास को सफल बनायें ।