विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के उपलक्ष्य में डॉ *. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू में विधि एवं सामाजिक न्याय अध्ययनशाला* द्वारा एक भव्य और जागरूकता पूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर पर पर्यावरण संरक्षण, संवर्धन और वृक्षारोपण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।
*कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय प्रति कुलगुरु प्रोफेसर डी.के. वर्मा ने की* , जबकि आयोजन की *मुख्य संयोजिका डॉ. संगीता मसानी, विभागाध्यक्ष, विधि एवं सामाजिक न्याय अध्ययनशाला* रहीं। कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती और भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ की गई, जिससे वातावरण में आध्यात्मिक और सामाजिक चेतना का संचार हुआ।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विधि एवं सामाजिक न्याय अध्ययनशाला तथा कृषि अध्ययनशाला के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। विद्यार्थियों ने पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर कविताएं, भाषण और गीत प्रस्तुत किए, जिनके माध्यम से उन्होंने धरती माता की रक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी को रेखांकित किया।
प्रकृति के प्रति ज़िम्मेदारी: वक्ताओं के प्रेरणादायक विचार इस अवसर पर प्रति *कुलगुरु प्रो. डी.के. वर्मा* ने कहा कि “विश्व पर्यावरण दिवस सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि हमें हर दिन पर्यावरण के संरक्षण और प्रकृति के साथ संतुलन की दिशा में काम करना चाहिए। यह दिन हमें यह स्मरण कराता है कि पृथ्वी और इसका वातावरण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
”वहीं, *डॉ. प्रदीप कुमार* ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “आज के समय में सिर्फ पेड़ लगाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन पेड़ों की देखरेख, संरक्षण और पोषण भी उतना ही आवश्यक है। हमें प्रकृति को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।”
संजय चौधरी ने विद्यार्थियों को पर्यावरण थीम 2025 और संविधान के मूल कर्तव्यों में निहित पर्यावरण संरक्षण के विषयों पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को पर्यावरण की रक्षा करने और उसे संरक्षित रखने का नैतिक दायित्व देता है।
वहीं अनंत चौरे ने अपने विचार रखते हुए कहा, “हमें व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से वृक्षारोपण अभियान को गति देना चाहिए। प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग पर रोक लगाना और वैकल्पिक उपायों को अपनाना समय की मांग है।”
छात्र श्रवण कुमार चौधरी* ने मंच संचालन करने के दौरान नागरिकों को जागरूक करने के लिए कहा कि “हमारे पास चाहे जितने अच्छे पर्यावरणीय कानून क्यों ना हो, अगर उनको पूरी ईमानदारी से लागू नहीं किया गया, तो वह सिर्फ कागज का पुंलिदा बनकर रह जाता है।” इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए प्रत्येक नागरिकों व विद्यार्थियों को आगे आकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाना होगा। व पर्यावरणीय कानूनों को पूरी ईमानदारी से लागू करवाना होगा।
वृक्षारोपण और विद्यार्थियों की भागीदारी कार्यक्रम के समापन से पूर्व परिसर में वृक्षारोपण अभियान का भी आयोजन किया गया, जिसमें विधि एवं कृषि अध्ययनशाला की संपूर्ण फैकल्टी, अतिथिगण एवं विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। वृक्षारोपण के इस महत्वपूर्ण कार्य ने इस आयोजन को एक स्थायी छाप दी, जो भविष्य में पर्यावरण को संवारने की दिशा में योगदान देगा।कार्यक्रम का संचालन विधि संकाय के छात्र श्रवण कुमार चौधरी* ने अत्यंत कुशलता से किया। अंत में डॉ. संगीता मसानी ने सभी अतिथियों, वक्ताओं, विद्यार्थियों और आयोजकों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम का समापन किया। कार्यक्रम में डॉ. नमिता टोप्पो सहित अनेक गणमान्य शिक्षकगण और छात्रगण उपस्थित रहे।