- भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने त्याग पत्र में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है और कहा है कि वे अपनी सेहत को प्राथमिकता दे रहे हैं।

- यह इस्तीफा भारत के संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के तहत दिया गया है, जिसके अनुसार उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को अपना लिखित इस्तीफा सौंप सकते हैं, और यह तत्काल प्रभावी हो जाता है। उनके इस्तीफे के बाद, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे स्वीकार कर लिया है।भारतीय इतिहास में ऐसे कुछ ही उदाहरण हैं जब किसी उपराष्ट्रपति ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया हो। उनसे पहले, वी. वी. गिरि (1969 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए) और रामास्वामी वेंकटरमन ने (1987 में राष्ट्रपति चुने जाने के बाद) इस्तीफा दिया था।धनखड़ के इस्तीफे के बाद, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह फिलहाल कार्यवाहक सभापति की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का पद रिक्त होने के बाद छह महीने के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य होता है।जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म है।
उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य संबंधी बताया है। विपक्ष इस इस्तीफे के पीछे किसी और वजह की आशंका जता रहा है। बिहार चुनाव न्यायपालिका से टकराव और राज्यसभा में हुई कुछ घटनाओं को भी इस्तीफे से जोड़कर देखा जा रहा है। जगदीप धनखड़ ने सोमवार को उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने मानसून सत्र के पहले दिन ये फैसला किया। उनके इस्तीफे के बाद देश में सियासी हलचल तेज हो गई है।इस बीच विपक्ष का कहना है कि मामला कुछ और है, जो साफ नजर नहीं आ रहा है।
धनखड़ के इस्तीफे के बाद तमाम अटकलें लगाई जाने लगी हैं। धनखड़ के अचानक पद छोड़ने के बाद कई प्रकार की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। .. विपक्षी दल के नेता ने दावा किया कि अगर उनको इस्तीफा देना ही था तो सत्र की शुरुआत में दे देते। सत्र के पहले दिन की शाम के क्यों दिया। वहीं, सोमवार शाम 4 बजे ही उपराष्ट्रपति सचिवालय की ओर से कहा गया कि इसी हफ्ते जगदीप धनखड़ जयपुर जाने वाले थे। तय कार्यक्रम के बीच में इस्तीफा देने के कारण ये रहस्य और गहरा गया है।
*बिहार विधानसभा चुनाव से जुड़ा है कनेक्शन ?
इसी साल के अंत तक बिहार में विधानसभा चुनाव होने को है। राज्य में जेडीयू और बीजेपी की गंठबंधन वाली सरकार है। हालांकि, बिहार में बीजेपी अपना पांव पसारने की कोशिश में है। राजनीतिक गलियारों में तो ये चर्चा भी की जाने लगी कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि, इस प्रकार की अटकलों पर नीतीश कुमार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
अटकलों का बाजार तो उस वक्त गरमा गया, जब बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा कि अगर नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाया जाता है तो बिहार के लिए अच्छा होगा।कहीं अपमान तो नहीं असली वजह?वहीं, कुछ जानकारों का मानना है कि मानसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा में जो घटनाएं घटीं, कही वह तो जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की मुख्य वजह नहीं? संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन जगदीप धनखड़ ने एक नोटिस स्वीकार किया था, जिसमें 60 से अधिक विपक्षी सांसदों ने जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की मांग की थी।
इसके ठीक बाद राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमिटी की एक बैठक में जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू अनुपस्थित रहे। चूकि यह बैठक संसद की कार्यसूची तय करने के लिए काफी अहम मानी जाती है। हालांकि, बाद में नड्डा की ओर से बैठक में अनुपस्थित रहने पर सफाई भी सामने आई।
