मध्य प्रदेश में ‘अजब’ तहसीलदार: एक ही व्यक्ति, दो सरनेम, दो तहसीलदार!
Ashoknagar
मध्य प्रदेश में तहसीलदारों की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. अशोक नगर जिले की ईसागढ़ तहसील से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक ही व्यक्ति के दो अलग-अलग जाति प्रमाण पत्रों में न सिर्फ सरनेम अलग-अलग हैं, बल्कि उन पर हस्ताक्षर करने वाले तहसीलदार भी अलग-अलग हैं. यह पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा पर गंभीर संदेह पैदा करता है.
पूरा मामला क्या है?…………..
यह मामला एक ही व्यक्ति से संबंधित दो प्रकरणों से जुड़ा है:
* पहला प्रमाण पत्र: प्रकरण क्रमांक 19 में 16 जून 2025 को जारी इस आदेश (रजिस्ट्रेशन क्रमांक RS/459/2303/2189/2025) में आवेदक की जाति अहिरवार बताई गई है और इस पर तहसीलदार कमल सिंह कोली के हस्ताक्षर हैं.
* दूसरा प्रमाण पत्र: इसी प्रकरण क्रमांक 19 से संबंधित एक और आदेश 25 जून 2025 को जारी किया गया (रजिस्ट्रेशन क्रमांक RS/459/2303/2789/2025). इसमें आवेदक की जाति लोधी दर्शाई गई है और इस आदेश पर तहसीलदार रोहित रघुवंशी के हस्ताक्षर हैं.

गंभीर सवाल…...
इस पूरे घटनाक्रम ने कई गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं:
1. क्या एक ही प्रकरण में दो अलग-अलग तहसीलदार हस्ताक्षर कर सकते हैं?……..नियमतः एक ही प्रकरण पर अलग-अलग अधिकारियों द्वारा आदेश जारी करना सामान्य प्रक्रिया नहीं है और यह प्रशासनिक अनियमितता की ओर इशारा करता है.
2. क्या एक ही व्यक्ति के प्रमाण पत्र में दो अलग-अलग सरनेम हो सकते हैं? …………………किसी भी व्यक्ति के आधिकारिक दस्तावेजों में एकरूपता आवश्यक है. जाति प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज में सरनेम का भिन्न होना न केवल भ्रम पैदा करता है, बल्कि धोखाधड़ी की संभावना को भी जन्म देता है.
उठ रही है.जांच की मांग……..
यह मामला स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि मध्य प्रदेश के कुछ तहसीलों में प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया में गंभीर खामियां और लापरवाही बरती जा रही है.
इस तरह की अनियमितताएं न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं, बल्कि आम जनता का सरकारी प्रक्रियाओं पर से विश्वास भी कम करती हैं. संबंधित अधिकारियों को इस मामले की गहन जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.
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