मध्य प्रदेश के अशोकनगर में, स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर, एक सरकारी स्कूल में एक ऐसी घटना घटी जिसने न सिर्फ समाज को, बल्कि सियासत को भी हिला कर रख दिया है।
अशोकनगर का, जहां 15 अगस्त के दिन एक सरकारी स्कूल में झंडा वंदन कार्यक्रम चल रहा था। तभी, स्कूल की एक शिक्षिका रश्मि रघुवंशी पर आरोप लगा कि उन्होंने मंच से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की तस्वीरों को हटवा दिया। यह कोई सामान्य घटना नहीं, बल्कि राष्ट्रनायकों के अपमान का एक बड़ा मामला है।
इस घटना के सामने आते ही, सबसे पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने तीखी प्रतिक्रिया दी। बसपा के कार्यकर्ता एकजुट हुए जिला अध्यक्ष के साथ सैकड़ों कार्य कर्ता सीधे जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) के दफ्तर पहुंचे। उन्होंने DEO को एक ज्ञापन सौंपा और मांग की कि इस गंभीर मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी शिक्षिका के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई की जाए। बसपा ने इस कृत्य को राष्ट्रनायकों का अपमान बताया है और कहा है कि यह एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा हो सकता है।
: लेकिन इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात है कांग्रेस पार्टी की चुप्पी। कांग्रेस, जो महात्मा गांधी के नाम पर राजनीति करती है, उस पार्टी के स्थानीय विद्यायक व जिला अध्यक्ष इस मुद्दे पर पूरी तरह खामोश हैं। अशोकनगर के वर्तमान विधायक हरी बाबू राय और कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजेंद्र कुशवाह ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
सवाल यह उठता है कि ऐसा क्यों? क्या कांग्रेस केवल वोट बैंक की राजनीति करती है?
जब बात महात्मा गांधी की होती है, तो कांग्रेस पूरे देश में शोर मचाती है, लेकिन जब उनके साथ-साथ डॉ. अंबेडकर का अपमान होता है, तो कांग्रेस के नेता क्यों खामोश हो जाते हैं? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुप्पी दर्शाती है कि कांग्रेस के लिए दलित वोट बैंक का इस्तेमाल सिर्फ चुनावी लाभ के लिए है, न कि उनके सम्मान और आदर्शों के लिए।
: फिलहाल, प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। पूरा देश देख रहा है कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है। क्या दोषी पर कड़ी कार्रवाई होगी, या यह मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? और क्या कांग्रेस अपनी चुप्पी तोड़कर राष्ट्रनायकों के सम्मान के लिए खड़ी होगी? यह देखना बाकी है।
