BNS और SC/ST एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग.
चंडीगढ़/रोहतक,
हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) श्री वाई पुरन कुमार द्वारा 7 अक्टूबर 2025 को की गई कथित आत्महत्या के मामले में राजनीतिक और सामाजिक दबाव चरम पर पहुँच गया है। इस संवेदनशील घटना को बहुजन समाज पार्टी (BSP) हरियाणा प्रदेश ने “जातिवादी मानसिकता का भयावह प्रतिबिंब” बताया है।
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने आज एक ज्ञापन सौंपकर, दिवंगत अधिकारी के सुसाइड नोट में नामित वरिष्ठ अधिकारियों की तत्काल गिरफ्तारी और उनके खिलाफ कड़े कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई की मांग की है।
ज्ञापन में लगाए गए गंभीर आरोप:
बसपा द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन में दिवंगत ADGP वाई पुरन कुमार के आत्महत्या नोट (Dying Declaration) के मुख्य अंशों का हवाला दिया गया है। पार्टी का दावा है कि नोट में स्पष्ट रूप से कहा गया है:
“मैं एक ईमानदार अधिकारी था। लेकिन मुझे मेरी जाति के कारण बार-बार अपमानित किया गया। मेरे वरिष्ठ अधिकारी-डीजीपी शत्रुजीत कपूर और एसपी रोहतक नरेंद्र बिजारणियां-ने मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। मेरी छवि को धूमिल किया और मुझे आत्महत्या के लिए मजबूर किया।… मेरी मृत्यु के लिए ये अधिकारी जिम्मेदार हैं।”
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बसपा की प्रमुख मांगें:
बसपा ने इस गंभीर मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कठोर कार्रवाई की मांग की है:
* तत्काल गिरफ्तारी: डीजीपी शत्रुजीत कपूर और एसपी नरेंद्र बिजारणियां को उनके पदों से हटाकर तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
* सख्त कानूनी कार्रवाई: दोषियों के खिलाफ नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 112 (आत्महत्या के लिए उकसाना) तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (SC/ST Act) की सख्त धाराओं के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
सरकार पर बढ़ता दबाव
दिवंगत ADGP की पत्नी, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार द्वारा भी एफआईआर में डीजीपी शत्रुजीत कपूर और तत्कालीन एसपी नरेंद्र बिजारणियां के नाम शामिल करने और सख्त कार्रवाई की मांग के बाद सरकार पर चौतरफा दबाव बढ़ गया है। पुलिस ने एफआईआर में एससी/एसटी एक्ट की धाराओं को जोड़ दिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए, हरियाणा सरकार पहले ही डीजीपी शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज चुकी है और एसपी नरेंद्र बिजारणियां का तबादला कर दिया गया है।
हालांकि, बसपा और अन्य दलित संगठनों ने इन कदमों को नाकाफी बताते हुए, तत्काल गिरफ्तारी की मांग पर अडिग रहने की घोषणा की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि 10 दिनों के भीतर दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती है, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे। यह मामला अब हरियाणा में जातिगत भेदभाव और प्रशासनिक उत्पीड़न के आरोपों को लेकर एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक विवाद का रूप ले चुका है।