उज्जैन में विद्युत कंपनी के अधीक्षण यंत्री पर पुलिस द्वारा बर्बरता और झूठा केस दर्ज |
उज्जैन
मध्य प्रदेश के उज्जैन से एक बेहद गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने समूचे विद्युत विभाग को आंदोलित कर दिया है। यहां बिजली कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी, अधीक्षण यंत्री के साथ पुलिस द्वारा न सिर्फ मारपीट की गई, बल्कि उन पर एक झूठा मामला भी दर्ज कर दिया गया है।

यह घटना मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के अधीक्षण यंत्री देवीसिंह चौहान के साथ शनिवार रात को हुई। श्री चौहान अपने कार्यालयीन कार्य से वापस उज्जैन लौट रहे थे। दरगाह मंडी चौराहा, आगर रोड पर उनकी गाड़ी रोकी गई।
सूत्रों के मुताबिक, चूंकि उनके ड्राइवर की दृष्टि कमजोर थी, इसलिए चौहान स्वयं ही वाहन चला रहे थे। पुलिसकर्मियों ने बिना किसी ठोस कारण के जबरदस्ती गाड़ी की चाबी निकालने की कोशिश की। जब अधीक्षण यंत्री देवीसिंह चौहान ने इसका विरोध किया, तो पुलिसकर्मियों और कथित तौर पर थाना प्रभारी द्वारा उनके मुँह पर घुसा मारा गया। मारपीट इतनी भीषण थी कि उनके कपड़े तक फाड़ दिए गए।
इसके बाद उन्हें सीधे थाना चिमनगंज ले जाया गया, जहां रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक उन्हें प्रताड़ित किया गया।
कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब प्रताड़ना के दौरान अधीक्षण यंत्री का मेडिकल कराया गया। मेडिकल रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि चौहान ने शराब का सेवन नहीं किया था। इसके विपरीत, उनके चेहरे पर गंभीर चोट और सूजन के निशान दर्ज किए गए। इस पूरी घटना के चश्मदीद गवाह उनके ड्राइवर हेमंत राव पाखरे भी मौजूद हैं।
विभागीय अधिकारियों ने तुरंत पुलिस अधीक्षक से शिकायत की और उन्हें निष्पक्ष जांच का आश्वासन भी मिला। लेकिन तमाम आश्वासनों को दरकिनार करते हुए, पुलिस ने पहले तो चौहान को घंटों तक थाने में बिठाए रखा, दबाव डालकर उनसे लिखित माफीनामा लिया गया, और पुलिस द्वारा उन पर झूठी एफआईआर दर्ज कर दी गई।
पुलिस की इस मनमानी और अन्याय से विद्युत विभाग में जबरदस्त आक्रोश, विभाग के सभी अधिकारी और कर्मचारी एकजुट हो गए हैं। इस घटना के विरोध में मध्य प्रदेश विद्युत मंडल आरक्षित वर्ग अधिकारी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर सूर्य देव जयसिंह के आदेशानुसार, संघठन के लोग भी उज्जैन के इस आंदोलन में शामिल हुए।
संगठन ने तत्काल दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई और झूठी एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए आईजी को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन का वाचन सहायक यंत्री रूपेश खंडेलवाल ने किया।
विभाग ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर उनकी माँगे पूरी नहीं होती हैं, तो वे आंशिक कार्य बहिष्कार और उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
यह घटना प्रदेश में सरकारी अधिकारियों के सम्मान और सुरक्षा पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाती है और मध्य प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।